चंकी पांडे के बेहतरीन कॉमिक रोल जिन्होंने दर्शकों को खूब हंसाया
Best Comic Roles of Chunky Panday That Left Fans in Splits
चंकी पांडे के बेहतरीन कॉमिक रोल जिन्होंने दर्शकों को खूब हंसाया
अपनी अनोखी एक्टिंग, खास स्टाइल और बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग के साथ चंकी पांडे हमेशा से बॉलीवुड में लोगों को हंसाते रहे हैं। 80 के दशक से लेकर आज की कॉमेडी फिल्मों तक, उन्होंने ऐसे किरदार निभाए हैं जो आज भी दर्शकों को एंटरटेन करते हैं। आइए उनके कुछ यादगार कॉमिक रोल पर नज़र डालते हैं:
आखिरी पास्ता (हाउसफुल सीरीज़)
शायद उनका सबसे यादगार रोल, 'आखिरी पास्ता' का किरदार था। यह एक अजीब होटल मालिक का किरदार था, जिसका मशहूर डायलॉग 'मैं मज़ाक कर रहा हूँ' था। यह किरदार दर्शकों को बहुत पसंद आया। हाउसफुल फ्रैंचाइज़ी की सभी फिल्मों में चंकी का अंदाज़, एक्सप्रेशन और हास्य टाइमिंग इस किरदार को यादगार बना दिया।
बब्बन (तेज़ाब, 1988)
तेज़ाब जैसी गंभीर फिल्म में चंकी ने अनिल कपूर के बेवकूफ दोस्त का किरदार निभाकर माहौल को हल्का-फुल्का कर दिया। उनका वफादार लेकिन बेवकूफ किरदार दर्शकों को खूब पसंद आया।
राजु (आँखें, 1993)
डेविड धवन की मशहूर कॉमेडी फिल्म में गोविंदा के साथ चंकी ने शरारती भाइयों में से एक का किरदार निभाया। गोविंदा के साथ उनकी केमिस्ट्री और हास्यपूर्ण एक्सप्रेशन ने फिल्म में मज़ाक और हंसी का तड़का लगा दिया।
सनी (अपना सपना मनी मनी, 2006)
झूठ और छद्मवेश में फँसे एक ठग के किरदार में चंकी की हास्यास्पद हरकतें और ऊर्जावान अभिनय ने इस मनोरंजक फिल्म में उन्हें खास बना दिया।
इंस्पेक्टर काले (क़यामत: सिटी अंडर थ्रेट, 2003)
इस एक्शन से भरपूर थ्रिलर फिल्म में चंकी ने एक हास्यपूर्ण पुलिस वाले का किरदार निभाकर उसमें कॉमेडी का तड़का लगा दिया। उनकी हास्यास्पद एक्टिंग ने गंभीर कहानी में भी हंसी के पल जोड़ दिए।
रंगिला (लूट, 2011)
लूट में चंकी ने कुछ छोटे-मोटे अपराधियों के ग्रुप में अपनी अलग पहचान बनाई। उनके हास्यपूर्ण एक्सप्रेशन और हास्य अंदाज़ ने तनावपूर्ण डकैती के सीन को भी मज़ेदार बना दिया।
पप्पू यादव (हेलो डार्लिंग, 2010)
एक कम समझदार व्यक्ति का किरदार निभाते हुए चंकी ने इस हल्की-फुल्की फिल्म में अपनी बेवकूफी से कॉमेडी का तड़का लगाया। उनकी हास्यास्पद हरकतें कहानी में हंसी का मसाला बन गईं। चंकी पांडे की बहुमुखी प्रतिभा यह साबित करती है कि कॉमेडी सिर्फ़ जोक तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें टाइमिंग, एक्सप्रेशन और मौलिकता भी शामिल है – और इन सभी चीज़ों में उन्होंने दशकों के अनुभव से महारत हासिल कर ली है।